रोजगार की मांग को लेकर हजारों युवाओं ने संसद मार्च किया

एआईडीवाईओ द्वारा आयोजित संसद मार्च

27 फरवरी को ऑल इण्डिया डेमोक्रेटिक यूथ ऑर्गेनाईजेशन (एआईडीवाईओ) के आह्वान पर बेरोजगारी के खिलाफ हजारों युवाओं ने मण्डी हाऊस से जंतर-मंतर तक मार्च किया। जंतर-मंतर पर जाकर रैली सभा में तब्दील हो गई। सभा को प्रसिद्ध अभिनेता, नाटककार और सामाजिक कार्यकर्ता श्री प्रकाश राज ने सम्बोधित करते हुए कहा कि सरकार की गलत नीतियों जैसे नोटबंदी के कारण हजारों रोजगार खतम हो गए। नये रोजगार पैदा करने के लिए भी सरकार के पास कोई नीति नहीं है। क्योंकि सरकार के पास रोजगार का कोई नीति नहीं है इसलिए वह नौजवानों को कभी गाय के नाम पर, कभी धर्म के नाम पर , कभी जाति के नाम आपस में लड़ा रही है। अतः नौजवानोें को लड़ने की जरूरत है इस सरकार को हटाना है और रोजगार की लड़ाई को जारी रखना है। इस लड़ाई में मैं आपके साथ हूं और मुझे पूरा यकीन है इस आंदोलन में आपकी जीत होगी।

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद जी ने कहा कि आज युद्ध का उन्माद तैयार किया जा रहा है। रोजगार के सवाल पर सरकार के पास जबाव नहीं है। रोजगार के सवाल पर आप दिल्ली आये हैं। आपका स्वागत हम सभी कर रहे हैं क्योंकि आप मनुष्यता को बचाने आये हैं। 

सभा को संगठन की अखिल भारतीय महासचिव प्रतिभा नायक, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जुबैर रब्बानी के अलावा एसयूसीआई (सी) के केन्द्रिय कमेटी के सदस्य कॉ- अरूण सिंह ने सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में बेरोजगारी एक बहुत बड़ी ज्वलंत समस्या है। एआईडीवाईओ ने अखिल भारतीय स्तर पर 2018 में सभी राज्यों की राजधानियों में लाखों हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन प्रधानमंत्री को सौंपे थे जिसमें चार मुख्य मांगें थीः-

1- सभी सरकारी विभागों में रिक्त पड़े पदों को अबिलम्ब भरा जाए।

2- रोजगार न मिलने तक जीने लायक बेरोजगारी भत्ता दिया जाए।

3- ठेकेदारी प्रथा पर मिले रोजगार को स्थाई किया जाए।

4- रोजगार के अधिकार को मौलिक अधिकार का दर्जा दिया जाए।

वक्ताओें ने कहा कि प्रधानमंत्री ने दो करोड़ रोजगार देने का वादा किया था रोजगार देना तो दूर की बात केन्द्र सरकार की युवा विरोधी नीति के कारण पिछले सालों में लाखों पदों को खत्म किया गया है और लाखों रोजगार खत्म कर बेरोजगारों की फौज खड़ी की है जिसमें 15 से 35 साल के युवाओं की संख्या लगभग 40 करोड़ है। 2021 में यह आंकड़ा हमारी जनसंख्या का 64» हो जाएगा। लेकिन पूंजीपरस्त नीतियां रोजगार सृजन के लिए सबसे बड़ी रूकावट हैं। 

वक्ताओं ने बताया कि बेरोजगारी के खिलाफ देशभर में हस्ताक्षर अभियान चलाया गया। प्रतिमाह कितने रोजगार सरकार दे रही है ये आंकडा बताने के लिए सरकार तैयार नहीं। एक लम्बे समय के बाद एनएसएसओ ने आंकड़ा जारी किया जिसमें पता चला कि पिछले 4-5 वर्षों में 6-2» की दर से बेरोजगारी बढ़ी है। केन्द्र सरकार ने बढ़ाचढ़ाकर आंकड़े पेश किए कि कितने रोजगार सरकार ने सृजित किए हैं लेकिन एक तरफ चंद लोगों की पूंजी का साम्राज्य बढ़ा है वहीं दूसरी तरफ बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही है। सभा की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रीय अध्यक्ष रमनजप्पा अलदली ने कहा कि 2000 किसान प्रतिदिन खेती छोड़ने को मजबूर हैं  और शहर में जाकर मजदूरी करने को बाध्य हैं। मनरेगा जैसी कल्याणकारी योजनाओं में तेजी से कटौती की जा रही है। किसानों की आत्महत्या अत्यंत पीड़ादायक है। युवा असमंजस की स्थिति में हैं। युवाओं के पास यह विकल्प है कि या तो बेरोजगार रह कर तमाम दुख तकलीफों को सहे या फिर समाज बदलने के आंदोलन से जुड़कर एक नया समाज बनोन की मुहिम में आगे आएं और यह काम क्रांतिकारी युवा संगठन एआईडीवाईओ लगातार कर रहा है। 

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