ज्वलंत मांगों को लेकर विधान सभा पर किसानों का विरोध प्रदर्शन

पंचकूला (हरियाणा): ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन ने हरियाणा विधानसभा पर बजट सत्र के पहले दिन 20 फरवरी को जोरदार प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री को अपनी मांगों का ज्ञापन दिया। प्रदेश भर के किसान व भूमिहीन गरीब पहले पंचकूला सैक्टर 5 में धरना स्थल पर भारी संख्या में इकट्टòे हुये और वहाँ से विधानसभा की ओर कूच किया। जुलूस मनीमाजरा चौक पर पहुंचने पर पुलिस ने इसे रोक दिया। प्रदर्शनकारी किसान वहीं पर धरने पर बैठ गए। वहाँ से संगठन के प्रदेश सचिव जयकरण माण्डौठी की अगुवाई में सहसचिव रामकुमार, वरिष्ठ उपाध्यक्ष बाबूराम, बलबीर सिंह, जयकरण समेत 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री हरियाणा को जनज्ञापन देने के लिए विधानसभा सचिवालय गया।

धरना स्थल पर पहले प्रदर्शनकारियों को किसान संगठन के प्रदेश सचिव कॉ- जयकरण माण्डौठी समेत कई नेताओं ने सम्बोधित किया जिनमें संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड सत्यवान प्रमुख रहे। उन्होंने बताया कि राज्य व केंद्र सरकार की किसान-विरोधी नीतियों के कारण खेती घाटे का सौदा हो चुकी है। खेती में काम आने वाले औद्योगिक सामान— खाद, बीज, कीटनाशक, डीजल, बिजली, कृषि औजारों के दामों के अलावा कर्ज की ब्याज दरें निरन्तर बढ़ाई जाती रही हैं परन्तु इनकी तुलना में कृषि उपज के दाम बहुत कम दिये गये हैं। फसलों के दाम लागत से डेढ़ गुना देने की सिफारिशें स्वामीनाथन कृषि आयोग ने सन् 2006 में दी थी। परन्तु इन्हें न तो कांग्रेस सरकार ने लागू किया और भाजपा सरकार भी वादा करके इनसे मुकर गई। खेती को छोड़कर छोटे व अन्य भूमिहीन किसानों और खेत मजदूरों की आमदनी का दूसरा कोई जरिया नहीं है। उन्हें साल भर लगातार कोई काम नहीं मिलता। उनकी पढ़ी-लिखी युवा सन्तानें रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही हैं। इन किसानों के पास खेती के लिए लागत खर्च नहीं होता। इन्हें सरकारी बैंकों, सहकारी समितियों, यहाँ तक कि महाजनों, आढ़तियों व साहूकारों से कर्ज लेना पड़ता है। बढ़ते घाटे के कारण प्रदेश के 80-90 प्रतिशत किसान भारी कर्ज के नीचे दबे हुए हैं। हरियाणा समेत देश के 4-5 लाख किसान मजबूरी में आत्महत्या कर चुके हैं। केन्द्र या प्रदेश सरकार को किसानों की कोई परवाह नहीं है। भाजपा सहित हर पार्टी ने वादािखलाफी की है और उनकी सरकारों ने किसान-मजदूरों को लूटने और पूंजीपतियों की तिजोरियां भरने का कार्य किया है। इसने न तो कर्ज माफ किये, न ही फसलों के डेढ़ गुना दाम दिए। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों की बजाय प्राइवेट कम्पनियों को भारी मुनाफा हो रहा है। इसी तरह भावान्तर स्कीम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एसएमपी) पर फसलों की सरकारी खरीद को खत्म करने की ही एक गहरी साजिश है। बीजेपी सरकारें चुनावों को नजदीक आता देखकर इस धोखाधड़ी पर पर्दा डालने के लिए नये-नये जुमले हवा में उछाल कर किसानों को तरह-तरह से गुमराह कर रही हैं। इसी कड़ी में, आर्थिक सहायता के नाम पर केन्द्र सरकार द्वारा मात्र 6 हजार रुपये सालाना देने की बजटीय घोषणा को उन्होंने किसानों के साथ एक उपहास बताया।

उन्होंने कहा कि सबसे पहले किसानों को कर्ज से छुटकारा दिलाये बिना और मंडी में बिचौलियों को खत्म कर लागत मूल्य से डेढ़ गुना लाभकारी दाम पर किसानों की सभी फसलों की सरकारी खरीद सुनिश्चित किये बिना किसानों का भला नहीं होने वाला है। इन दोनों मांगों को एआईकेकेएमएस देशभर में उठाता आ रहा है। संगठन ने सरकार से मांग की कि बजट में सबसे पहले कर्ज समाप्ति व स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार लागत से डेढ़ गुना दाम देने की घोषणा करे। बिचौलियों को खत्म कर किसानों की फसलों को लागत मूल्य से डेढ़ गुना दाम पर ऽरीदने की सरकार पक्की गारंटी दे और आम उपभोत्तफ़ाओं को राशन कार्ड पर सस्ती दर पर राशन वितरित करे। फसलों को आवारा पशुओं की आतंकी फौज से बचाने का कारगर इन्तजाम करे। इनसे होने वाले नुकसान का उचित मुआवजा दे। ज्ञापन में किसान संगठन ने छोटे, गरीब व भूमिहीन किसानों को छः हजार रुपये मासिक आर्थिक सहायता देने, साथ ही बुढ़ापा, विधवा, विकलांग पेंशन बढ़ा कर 5000 रुपये महीना लागू करने, खेत मजदूरों व छोटे किसानों, ग्रामीण दस्तकारों को सालभर रोजगार और रोजाना 600 रुपये दिहाड़ी देने, कृषि में सब्सिडी बहाल कर डीजल, खाद, बीज, कीटनाशक सस्ते करने, फसल खराबे का 40 हजार रूपये प्रति एकड़ मुआवजा देने, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसान हितैषी बनाने, सिंचाई व बिजली का सही इन्तजाम करने के लिये लऽवार बान्ध व किशाऊ बान्ध का निर्माण युद्ध स्तर पर करने और फसलों के ऑनलाइन पंजीकरण पर रोक लगाने की मांग की। अंत में कॉ- सत्यवान ने कहा कि आन्दोलन ही इस दुर्दशा से बचने का एकमात्र रास्ता है।

प्रदर्शनकारी किसान खेत मजदूरों को किसान नेता कॉ- विजय कुमार उपाध्यक्ष, कॉ- राजकुमार कुरूक्षेत्र, कॉ- करतार सिंह झज्जर, कॉ- रोहतास भिवानी, कॉ- करतार सिंह करनाल, कॉ- देवीराम जीन्द, कॉ- करण सिंह रेवाड़ी के अलावा एसयूसीआई (कम्युनिस्ट) के हरियाणा राज्य कमेटी सदस्यों कॉ- ईश्वर सिंह राठी और कॉ- रामफल ने भी सम्बोधित किया।

एआईकेकेएमएस के बैनर तले हरियाणा विधान सभा की ओर कूच करते हुए किसान और खेतमजदूर

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